तब मैं तुम्हे जानना चाहता था
और तुम मुझे समझ नहीं पाती थीं
अब तुम मुझे जानना नहीं चाहती
और मै तुम्हें समझ नही सकता
दर्मियां अपने , दूरियां तो कम हैं शायद
हां फासले बहुत हैं…..
– आहंग
तब मैं तुम्हे जानना चाहता था
और तुम मुझे समझ नहीं पाती थीं
अब तुम मुझे जानना नहीं चाहती
और मै तुम्हें समझ नही सकता
दर्मियां अपने , दूरियां तो कम हैं शायद
हां फासले बहुत हैं…..
– आहंग
बृहत् खूब…
thanks subhendu
bahut khoob
excellent rajnish!!!
slowly turning to be fan of yours
ha ha …thanks. it’s motivating !
….कभी हम न थे,कभी तुम न थे।
बहुत खूब…
shukriya !