हम सच को सच नहीं कहते
न ही झूंठ को झूंठ कहते हैं
हम सही को नहीं कहते कि सही है
और न कहते हैं गलत को गलत
बस देखते रहते हैं खामोश, चुपचाप
दुनिया को अपने सामने से गुज़रते
कभी अखबार की सुर्खियों में
कभी टेलीविज़न के स्क्रीन पर
और कभी फ़ेसबुक की वाल पर
हम कोई स्टैंड नहीं लेते
क्योंकि हम तो खड़े ही नहीं हैं कहीं
किसी के भी साथ
हम तो बस खिसक जाते हैं
जहाँ सबसे कम खतरा हो
और हम जहाँ पहचाने ना जाएं
ऐसा नहीं कि हमारे एहसास मर गए हैं
पाश की मुर्दा शांति की तरह
हम सजग हैं सतत प्रयत्नशील हैं
अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए
हम बेवजह कुछ नहीं करते
हिलते भी नहीं जब तक ज़रूरी न हो
हम मुस्कुराते भी हैं तो उसके पीछे
एक मकसद होता है
हम खूब जानते हैं किसको देख कर
कब कितना मुस्कराना है
आखिर हर बात का एक मतलब होता है
होना ही चाहिए
हम बेकार की बकवास नहीं करते
हम प्रबुद्ध हैं
हमें कोई फर्क नहीं पड़ता
घर है, टीवी है, फ़ेसबुक है,कार है,अखबार है,
कट जाएगी उम्र बस यूं ही शांति से
बस यही हमारे जीवन का सार है…
~ आहंग
Intutive thoughts Mr.Aahang
Wow. ..imean it jst amazing
Woww. ..imean it jst amazing ..
जी शुक्रिया
habut badhiya likha hai apne.
शुक्रिया जनाब
Hi …be Thoughts
Hi thanks for lovely thoughts
जी शुक्रिया